तेरा अक्स

सपनो की नर्म परछाइयां आज फ़िर तेरा अक्स ले आई हैं
आंखों से नींद गई नही है अभी …… इसलिए अब भी दिख जाता है
तेरा अक्स …. जो कहीं दूर से मुस्का रहा है … पहले की तरह
तेरा अक्स …. जो अब भी भरमा रहा है …. पहले की तरह

करवटें भी अजीब होती हैं …. करवटों के साथ सपने नही बदलते हैं
वो सपने जो बिन कहे गुम जाते हैं … करवटों की गोद में अक्सर छिपे से मिलते हैं
हर करवट के साथ भी मुझको नज़र आ रहा है …. पहले की तरह
तेरा अक्स … जो दूर से मुस्का रहा है ….. पहले की तरह

हवा के झोंके तेरे आने का पैगाम दे गए थे
तेरी आहट की एक पहचान दे गए थे …
तेरे कदमो की आहट और तेरे मन की आहट
तेरी साँसों की दिल की और उस धड़कन की आहट
तेरे अक्स का गहरा असर इस दिल पर है
मेरे सिवा तेरे इस अक्स से सब बेखबर हैं

आंखों को बंद कर के फ़िर से दिल ने करवट ली
अब तेरे खो जाने का तनिक भी डर नही
मेरा मन खुशनुमा सपने नए सजाता है
तेरे उस अक्स के ….. जो रोज़ मन भरमाता है ……….

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